विद्यालय में बच्चों को उन्मुक्त वातावरण आजादी या स्वतंत्रता देना



                                                स्वतंत्रता /  आजादी


नाम : बाबूलाल पटेल

पद : प्रधान पाठक प्राथमिक शाला पडिगांव

       विकास खंड पुसौर जिला रायगढ़ (छ. ग.)


                                                                      प्रस्तावना 


                बच्चे उन्मुक्त जीवन जीते हुए सीखने की इच्छा रखते हैं और सतत सीखते भी चले जाते हैं ऐसा बेहतरीन अनुभव मुझे प्राथमिक शाला में पदस्थापना के पश्चात मिला जो मेरे लिए एक बहुत बड़ी पूंजी की तरह है और वर्तमान में मैं इसे विद्यालय में कार्य रूप में परिणीत करने का प्रयास कर रहा हूं। आप जब बच्चों से मिलते हो, खुलकर मिलते हो उन्हें अपना समझते हो तो वे भी आपसे घुलमिल जाते हैं और एक ऐसा सुखद परिवेश का निर्माण होता है कि बच्चे आनंददाई माहौल में खेल खेल में स्वतंत्रता पूर्वक बिना बंधन के पूरी आजादी के साथ सीखने की प्रक्रिया में आगे बढ़ते चले जाते हैं।

       कहने में तो यह जहां बड़ा सरल लगता है पर इतना भी सरल है नहीं बच्चों के साथ घुलने मिलने का काम करने हेतु मुझे बच्चों के मनोविज्ञान को समझने की आवश्यकता भी हुई, कई बार मुझे बच्चा बनना पड़ा ,उनकी तरह सोचना पड़ा ,उनकी तरह हंसना मुस्कुराना ,उनकी ही तरह खेलना , उनके साथ खेलना पड़ा ,समझदार व जानकार होकर भी अनजान मूक दर्शक की तरह बने रहना पड़ा , अपनी गति को धीमी करना बच्चों के स्तर पर बच्चों के उल जलूल प्रश्नों के सार्थक जवाब दे पाने के ढेरों प्रयास करने पड़े । कई बार तो ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हुई कि उनके प्रश्नों के उत्तर मेरे पास नहीं हुआ करते थे, कुछ प्रश्नों के उत्तर खोजने में मुझे घंटों समय लगा एवं कुछ प्रश्नों के उत्तर आज भी अनुत्तरित हैं जिन्हें खोज रहा हूं ( यह स्वीकार करते हुए की बच्चों की कल्पनाशीलता व सोच के सामने मेरा ज्ञान कभी-कभी अत्यंत अल्प है ऐसा मैंने महसूस किया है)

     :शोध के उद्देश्य :


 बच्चों में शिक्षा के वास्तविक स्वरूप अनुसार विविध क्षेत्रों व आयामों में निपुणता व कुशलता विकसित करना।



                                           :प्रक्रिया : 


             1.  बच्चों को आपस में स्वतंत्रता पूर्वक खूब बातें करने देना । 

             2. बच्चों के शैक्षिक विकास हेतु आईसीटी का प्रयोग।

            3. S T E M किट का प्रयोग कर बच्चों में साइंस टेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग र मैथमेटिक्स की समझ विकसित करना।

            4. योग शिक्षा व मानवीय मूल्यों का विकास ।

            5   पर्यावरण संरक्षण । आदि 


                                                               :गतिविधियां : 

1 भाषा व बोली का कोई बंधन नहीं वे स्वतंत्रता पूर्वक अपने स्थानीय भाषा उड़िया का प्रयोग कर शोर मचाते रहते हैं विद्यालय में मेरी कक्षा में बच्चों को शांत बैठने के लिए न तो कोई दबाव डाला जाता है और ना ही कोई विशेष निर्देश दिया जाता है अध्ययन अध्यापन की प्रक्रिया में बच्चे खुलकर चर्चा करते हैं और खूब बातें करते हैं । मेरे विद्यालय के ज्यादातर बच्चे उड़िया में बातें करते हैं और मुझे स्थानीय उड़िया भाषा का बोलचाल का ज्ञान है अर्थात अच्छी तरह से उड़िया बोल लेता हूं व सुन समझ सकता हूं परंतु लिख नहीं सकता अतः उनके वार्तालाप में शामिल भी हो जाता हूं और धीरे-धीरे उन्हें पाठ्यक्रम में प्रविष्ट करने का प्रयास करता हूं वह पाठ्य वस्तुओं की ओर प्रविष्ट होकर आनंद पूर्वक पाठ्य विषय वस्तु सीखने का प्रयास करते हैं।

2.  इनफॉरमेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी / सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का शिक्षा में उपयोग जैसा कि हम जानते हैं विश्व में दो व्यक्ति कभी भी एक जैसे नहीं होते ऐसे ही जिन शिक्षार्थियों को बच्चों को हम सिखाने का कार्य कर रहे हैं वे भी भिन्न-भिन्न है उन सभी के सीखने का तरीका भी अलग अलग होता है बच्चे अथवा शिक्षार्थी बेहतर ज्ञान अर्जन तब करते हैं जब उन्हें शिक्षण के दौरान 1 से अधिक ज्ञानेंद्रिय आंख ,कान को शामिल करने के अवसर मिलते हैं एक से अधिक ज्ञानेंद्रियों पर आधारित शिक्षण विधियां नीतियों को अपनाने से विद्यार्थियों में सीखने के अवसर में न केवल वृद्धि होती है बल्कि वे  ऑडियो विजुअल मटेरियल से बेहतर समझते हैं और सीखते चले जाते हैं इसलिए सीखने के संसाधनों की विविधता सूचना संचार प्रौद्योगिकी आधारित यूट्यूब वीडियो ,ऑडियो गाने कहानियां चित्र इंटरनेट पर उपलब्ध शिक्षण सामग्रियां विद्यालय में लगे इंटरएक्टिव स्मार्ट स्क्रीन युक्त आईसीटी उपकरण पर बच्चों को खेलने का पूरा वातावरण प्रदान किया  जाता रहा है यह उनके अनुभवों को पूरा आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका की तरह रहा।

               स्मार्ट क्लास में मेरे विद्यालय में बच्चों को कंप्यूटर ऑन करना प्रोजेक्टर ऑन करना कंप्यूटर में सुरक्षित रखे गए एजुकेशनल कंटेंट मोटिवेशनल कंटेंट देशभक्ति गाने व अन्य विविध सामग्रियों को एक्सेस करने की पूरी खुली छूट आजादी व स्वतंत्रता है बच्चों को रोका टोका नहीं जाता वे स्वयं स्मार्ट क्लास में कंप्यूटर चलाना सीख चुके हैं  और सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय रहते हैं। स्मार्ट कक्षा में बच्चे  कंप्यूटर का स्वतंत्र निर्बाध उपयोग करते हुए एक्टिव लर्निंग प्रविधि पर खेल गतिविधियों में भी संलग्न रहते हैं।

3 हमारे विद्यालय में बच्चों को (S T E M )साइंस टेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग और मैथमेटिक्स सीखने हेतु अत्याधुनिक किट क्रय कर उन्हें सौंप दिया गया है वे किट में प्रदाय किए गए छोटे-छोटे इलेक्ट्रॉनिक सामान यथा लाइट एमिटिंग डायोड, स्विचस, सेल ,बैटरी, प्रतिरोध,  बजर  ,संबंध तार ,चुंबक के टुकड़े , मोटर आदि विभिन्न सामग्रियों से 17 प्रकार के छोटे गैजेट्स बनाने की प्रक्रिया में / सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय हैं यह काम उन्हें थोड़ी सी सावधानी व सुरक्षा की बातें बता कर स्वतंत्रता पूर्वक करने का माहौल दिया गया है और इस तरह बच्चे छोटे-छोटे गैजेट्स के द्वारा विज्ञान तकनीक और इंजीनियरिंग के बहुत बड़े-बड़े सिद्धांतों को सीखने की ओर धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं यूं कहा जाना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि नन्हे वैज्ञानिक बनने की ओर मेरे विद्यालय के बच्चे  स्वतंत्रता पूर्वक आजादी के साथ अग्रसर हैं स्वतंत्रता और आजादी से क्या होगा ज्यादा से ज्यादा 2 या  4 छोटे उपकरण खराब हो जाएंगे पर कोई बात नहीं बच्चे सीख जाएं, जान जाएं ,समझ जाएं यह बड़ी बात है कुल मिलाकर तोड़ो फोड़ो जोड़ो का सिद्धांत प्रभावी रूप से जारी है वह भी पूरी आजादी के साथ मैं उनके साथ आनंद की अनुभूति के साथ जुड़ा रहता हूं। 

4. विद्यालय की प्रार्थना सभा में प्रतिदिन कक्षा पहली से लेकर पांचवी तक के बच्चों को रोटेशन के आधार पर प्रार्थना कराने के लिए आमंत्रित किया जाता है साथ ही वे स्वयं सूक्ति वाक्य या उद्बोधन स्वतंत्रता पूर्वक प्रस्तुत करते हैं अपने मन से प्रत्येक शनिवार को योग शिक्षा एवं व्यायाम तथा नैतिक शिक्षा के विभिन्न प्रकार की गतिविधियां आयोजित की जाती है जिसमें बच्चे स्वतंत्रता पूर्वक भाग लेते हैं और अपने अपने मन मुताबिक खेल खेलते हैं साथ ही साथ नैतिक एवं चारित्रिक मूल्यों के विकास हेतु अलग-अलग दिवसों में अलग-अलग प्रकार के नैतिक मूल्यों पर गतिविधि या खेल आयोजित की जाती है जिसमें मैं स्वयं शामिल होता हूं बच्चे भी स्वतंत्रता पूर्वक शामिल होते हैं वे मजे करते हैं और इस तरह नैतिक व चारित्रिक गुणों का विकास उनमें होता चला जा रहा है।

5.  कोरोना काल में विद्यालय में 35 फलदार पेड़ पौधे (अमरूद, सीताफल,कटहल, नीबू आदि) कुछ बच्चों का साथ लेकर मैंने स्वयं लगाए और 2 वर्ष गर्मी की छुट्टियों में स्वयं पानी सींचा धीरे-धीरे पौधे 3 वर्षों में आज बड़े हो चुके हैं व फल देने की प्रक्रिया शुरू कर चुके हैं इस बीच मैंने पाया कि बच्चे को स्वतंत्रता पूर्वक अवलोकन करने हेतु अवसर देते हुए यदि आप स्वयं काम करते हैं तो वे धीरे-धीरे आपके साथ हाथ बटाने चले आते हैं ( जैसे कि  मैं फावड़ा  या कुदाल चलाता हूं  तो बच्चे भी  मेरे साथ आकर  हावड़ा या कुदाल चलाने का  प्रयास करते हैं ) इसमें उनके अंतर्मन की स्वतंत्रता व खुशी ही काम करती है उन्हें पानी देने हेतु या पौधों को सहेजने हेतु , फावड़ा चलाने या बुलाने की या बताने की आवश्यकता नहीं पड़ती वे खुद से करते चले जाते हैं।



             :गतिविधियों से बच्चों में आए सार्थक परिवर्तन : 

       उपरोक्त गतिविधियों से एवं प्रक्रियाओं से विद्यालय में धनात्मक दिशा में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं बच्चे शोर कर रहे हैं ,बच्चे बहुत सारी बातें कर पा रहे हैं , बच्चे लिख पा रहे हैं पढ़ पा रहे हैं, बच्चे जिद कर पा रहे हैं अर्थात तर्क कर पा रहे हैं , प्रश्न कर पा रहे हैं , मुझ जैसे शिक्षक को आदेशित भी कर पा रहे हैं  कि सर जी ऐसा करिए , वैसा करिये, उनमें उत्साह का माहौल है सक्रियता में वृद्धि हो रही है वातावरण आनंददाई होते जा रहा है परंतु यह एक शुरुआत है अभी और बहुत सारे काम हमें करने हैं ................


                     :  विद्यालय अथवा कक्षा में अनुभव:  

          बहुत अच्छा तो नहीं पर अच्छा ही कहा जा सकता है


                                 : निष्कर्ष : 


कुल मिलाकर हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि बच्चों को शिक्षकों को और समाज को स्वतंत्रता पूर्वक संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप कार्य करने का अवसर दिया जाए बंधन से मुक्त किया जाए तो विद्यालय सफल विद्यार्थियों का विद्यालय बनता चला जाएगा , हम और बच्चे मिलकर कार्य कर रहे हैं बच्चे सीख रहे हैं पर समाज समुदाय का अभी पूरा पूरा साथ नहीं मिल पाया है पर धीरे-धीरे गांव में माहौल बदल रहा है लोग विद्यालय को नामी-गिरामी प्राइवेट विद्यालयों से अच्छा विद्यालय बनने की दिशा में हमारे द्वारा किए जा रहे प्रयासों को दबी जुबान में ही सही सराहना करने लगे हैं ...... यह एक शुरुआत है अभी और बहुत सारे काम मुझे करने हैं ................


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