बच्चों का विद्यालय में नामांकन करा देना ( नाम लिखवा देना ) ही पर्याप्त नहीं है। यदि हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त करें और उनका भविष्य उज्ज्वल हो, तो इसके लिए पालकों और अभिभावकों की सक्रिय भागीदारी बहुत जरूरी है।
विद्यालय में बच्चे ज्ञान तो प्राप्त करते हैं, लेकिन यदि अभिभावक उन्हें प्रतिदिन बिना किसी छुट्टी के विद्यालय भेजें तो इसका प्रभाव उनकी शिक्षा पर कहीं अधिक गहरा होता है। नियमितता से बच्चों में अनुशासन की भावना आती है और वे पाठ्यक्रम को बेहतर ढंग से समझ पाते हैं।
इसके अलावा, अभिभावकों का यह भी कर्तव्य है कि वे सिर्फ बच्चों को विद्यालय भेजकर निश्चिंत न हो जाएं। उन्हें बच्चों की पढ़ाई में रुचि लेनी चाहिए, उनके गृहकार्य में मदद करनी चाहिए और शिक्षकों से मिलकर उनकी प्रगति के बारे में सतत जानकारी लेते रहना चाहिए।
जब घर और विद्यालय, दोनों मिलकर बच्चे की शिक्षा पर ध्यान देते हैं, तो इसका परिणाम बहुत सकारात्मक होता है। बच्चा न केवल अकादमिक रूप से मजबूत होता है, बल्कि उसमें आत्मविश्वास भी बढ़ता है।
यह समझना आवश्यक है कि बच्चे की शिक्षा केवल विद्यालय की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह सबका एक साझा प्रयास है जिसमें पालक, शिक्षक और स्वयं बच्चे का योगदान होता है। जब यह साझेदारी मजबूत होती है, तो बच्चे निश्चित रूप से बहुत कुछ सीख पाते हैं और उनका शैक्षिक स्तर काफी ऊँचा व अव्वल दर्जे का होता है।

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