स्व आकलन अपने आप को जानने समझने का एक जरिया है स्व आकलन द्वारा शिक्षक ही नहीं अपितु हर मानव अपने स्वयं के सीखने की गति ,स्तर तथा विषय पर अपनी समझ ,ज्ञान अथवा पकड़ ,कुशलता ,शैक्षणिक प्रक्रियाओं की पूर्ण जानकारी रुचि व्यवहार आदि में प्रगति के स्तर को स्वयमेव जान पाता है या समझ पाता है और स्वप्रेरित हो सकारात्मक प्रयास करते हुए आत्मज्ञान जो कि स्व प्रकाशित होता है को प्राप्त कर लेता है। किन्हीं और के उम्मीद के सहारे कि कोई हमारी क्षमता का आकलन करे और हमें उस ओर अग्रसर करे जैसी हम में प्रतिभा है गलत होता है इस तरह ना केवल शिक्षकीय जीवन में ही अपितु आमजीवन में भी क्षमता के गलत आकलन पर सिवाय निराशा के कुछ नहीं मिलता।
तो आइए स्वयं को जानें अपनी क्षमताओं को पहचानें अपना स्वआकलन करें (WHO AM I )और अपनी विशिष्ट पहचान बनाते हुए आगे की ओर बढ़ते चलें . . . .
आकलन के कुछ सरल से सवाल अपने आप से पूछें
1 क्या मेरे माता पिता व गुरु मुझसे खुश हैं ?
2 क्या मेरे बच्चे मुझसे खुश हैं ?
3 क्या मेरे मित्र मुझसे खुश हैं ?
4 क्या मैं अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन भली-भांति कर पा रहा हूं ?
5 क्या बच्चों के शिक्षण से व शिक्षण में मुझे प्रसन्नता है ?
6 क्या बच्चे मेरे शिक्षण से खुश हैं ?
7 क्या मैं अपने जीवन में संतुलित तरीके से जीवन यापन कर पा रहा हूं ?
8 क्या मेरे राष्ट्र के प्रति सोच समर्पण व कर्तव्य पूर्ण आचरण से मैं स्वयं प्रसन्न हूं ?
9 क्या मैं अपने धर्म संस्कृति व अध्यात्म के प्रति जागरूक व कर्तव्यनिष्ठ हूं ?
10 क्या मैं शिक्षकीय गरिमा अनुरूप बच्चों को शिक्षा प्रदान करते हुए राष्ट्रहित मैं अपना भरपूर योगदान दे पा रहा हूं ?
आदि आदि . . . . . .
BABULAL PATEL HM
G BOYS PRIMARY SCHOOL PADIGAON
BLOCK PUSSORE
DT RAIGARH CG
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