बुद्धिमत्ता की सच्ची पहचान
बुद्धिमत्ता को अक्सर स्कूल की पढ़ाई और अच्छे अंकों से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन यह एक बहुत ही संकीर्ण (narrow) सोच है। असल में, बुद्धिमत्ता का दायरा बहुत बड़ा और विविध होता है। एक बच्चा जो गणित या विज्ञान में अच्छे नंबर नहीं ला पाता, हो सकता है कि वह कला, संगीत या खेल में असाधारण रूप से प्रतिभाशाली हो। उसकी सोचने की क्षमता, रचनात्मकता (creativity), और समस्या-समाधान (problem-solving) का तरीका अलग हो।
विभिन्न क्षेत्रों में कौशल
खेल और शारीरिक शिक्षा: जो बच्चे खेलों में अच्छे होते हैं, उनमें न केवल शारीरिक चुस्ती-फुर्ती होती है, बल्कि उनमें रणनीति बनाने, टीम के साथ मिलकर काम करने और दबाव में बेहतर प्रदर्शन करने की क्षमता भी होती है। ये सभी गुण जीवन के हर क्षेत्र में सफलता के लिए बहुत ज़रूरी हैं।
कला और संगीत: कला और संगीत में कुशल बच्चे भावनाओं को व्यक्त करने, कल्पना करने और नई चीजें रचने में माहिर होते हैं। उनकी संवेदनशीलता (sensitivity) और अवलोकन (observation) क्षमता उन्हें दूसरों से अलग बनाती है।
कृषि और प्रबंधन: कुछ बच्चे प्राकृतिक रूप से ही कृषि या व्यापार की समझ रखते हैं। वे मिट्टी, पौधों और पर्यावरण को बेहतर ढंग से समझते हैं या लोगों को संगठित करने और किसी कार्य को कुशल तरीके से प्रबंधित करने की जन्मजात क्षमता रखते हैं।
हमारा कर्तव्य: सही दिशा देना
हमें यह समझना होगा कि हर बच्चा एक बीज की तरह होता है। कुछ को फलदार वृक्ष बनने के लिए पानी चाहिए, तो कुछ को फूल बनने के लिए धूप। एक ही तरह की शिक्षा सबको एक जैसा बनाने की कोशिश करती है, जो कि सही नहीं है।
हमारा कर्तव्य है कि हम शुरुआती स्तर पर ही बच्चों की रुचि और प्रतिभा को पहचानें। उन्हें केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रखकर, उन क्षेत्रों में प्रोत्साहित करें जहाँ वे स्वाभाविक रूप से अच्छे हैं। उन्हें रटने के बजाय समझने और सोचने की आज़ादी दें। ऐसा करके ही हम उनकी वास्तविक क्षमताओं को निखार पाएंगे और उन्हें एक सफल और खुशहाल जीवन की ओर ले जा पाएंगे।
सिर्फ अच्छे अंकों पर ध्यान केंद्रित करने से हम बच्चों की असली प्रतिभा को दबा रहे हैं। यह सिर्फ एक किताबी सफलता है, जबकि जीवन की सफलता बहुत कुछ और है।

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