राष्ट्रीय खेल दिवस
आज ही के दिन अर्थात 19 अगस्त 1905 को हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले ध्यानचंद जी का जन्म हुआ था । उन्हीं की याद में देश राष्ट्रीय खेल दिवस मना रहा है । वह ड्यूटी के बाद घंटा चांदनी रात में प्रेक्टिस किया करते थे अतः उनके दोस्त उन्हें चंद नाम से पुकारा करते थे उन्होंने अपने करियर में 1000 गोल दागे । ओलंपिक खेलों में तीन गोल्ड मेडल दिलाने में भी हमारे हॉकी के जादूगर का ही हाथ रहा ।
हॉकी का जादूगर
अपने बेजोड़ स्टिक-वर्क और बॉल कंट्रोल की वजह से मेजर ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाने लगा। वह गेंद और स्टिक के बीच ऐसे तालमेल बैठाते थे कि देखने वालों को भरोसा ही नहीं होता था। यह उनके अभ्यास का नतीजा था।
हिटलर का ऑफर ठुकराया
1936 के बर्लिन ओलंपिक में उनके खेल से प्रभावित होकर हिटलर ने उन्हें जर्मन सेना में शामिल होने का ऑफर दिया। हालांकि उन्होंने हिटलर के इस प्रस्ताव को ही ठुकरा दिया था। उन्होंने अपने देश को चुना था।
जादुई स्टिक
नीदरलैंड में अधिकारियों को संदेह था कि ध्यानचंद हॉकी स्टिक में चुंबक या गोंद लगाकर खेलते हैं। इससे गेंद चिपक जाती है । ऐसे में उनकी हॉकी स्टिक की तोड़कर जांच भी की गई थी।
आत्मकथा
मेजर ध्यानचंद की आत्मकथा का नाम 'गोल' है। यह 1952 में प्रकाशित हुई थी। इसके लेखक मेजर ध्यानचंद ही थे।
डॉन ब्रैडमैन हुए मुरीद
दिग्गज क्रिकेटर डॉन ब्रैडमैन ने मेजर ध्यानचंद के खेल को देखकर कहा था कि वे वैसे ही गोल करते हैं, जैसे क्रिकेट में रन बनाए जाते हैं।


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