पढ़ाना और सीखना दो अलग विषय वस्तु है अर्थात टीचिंग और लर्निंग अलग-अलग बातें हैं टीचिंग का कार्य टीचर कराता है जबकि लर्निंग स्वयं विद्यार्थी करता है ।
टीचिंग की प्रक्रिया में मुख्य भूमिका शिक्षक की होती है अर्थात शिक्षा शिक्षक केंद्रित होती है , परंतु सीखने की प्रक्रिया में छात्र स्वयं सीखता है अर्थात शिक्षण व्यवस्था छात्र केंद्रित हुआ करती है। जब हम शिक्षा में नवाचार करते हैं तो हमें इस बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए कि बच्चा खेल कर या गतिविधि करके ही सीखता है और मनोरंजक व आनंददायी तरीके से सीखा हुआ उसका यह ज्ञान जीवन पर्यंत बना रहता है अर्थात यही वास्तविक शिक्षा होती है । इसके अलावा यदि हम कुछ पाठों को बच्चों को पढ़ा दे उसके प्रश्न उत्तर रटा दे और परीक्षाएं लेकर उन्हें उत्तीर्ण कर डिग्री या डिप्लोमा बांट दें तो हमारा बच्चा डिग्री या प्रमाण पत्र धारी तो अवश्य हो जाएगा नौकरी प्राप्त कर धन अर्जन भी कर लेगा । पर जीवन के मूल्यों और आदर्शों की महत्वपूर्ण शिक्षा के बिना असल जिंदगी में अशिक्षित ही बना रहेगा ।
स्वामी विवेकानंद ने बाल केंद्रित शिक्षा पर जोर दिया था जिसमें बच्चे को गतिविधि आधारित और स्वयं से सीखने की पूरी स्वतंत्रता दी जाती है। उसे प्राकृतिक वातावरण में विकसित होने का पूरा मौका दिया जाना चाहिए। इस प्रकार स्वामीजी "आत्म अनुशासित शिक्षा" में विश्वास करते हैं। उनके अनुसार प्रत्येक बच्चा स्वयं का शिक्षक होता है।
तो आइये आज हम शिक्षक दिवस के दिन यह संकल्प लें और मानवीय मूल्यों पर आधारित छात्र केंद्रित शिक्षा की ओर कदम बढ़ाते हुए विद्या अर्जन, सीखने और ज्ञान प्राप्त करने और सिखाने की अनंत यात्रा में हम आप सतत सहयोगी बनें.
शिक्षक दिवस की आप सबको अशेष शुभकामनाएं ।

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