विद्यालय : छात्र शिक्षक और पालक

     


     बच्चों का विद्यालय में नामांकन करा देना ( नाम लिखवा देना ) ही पर्याप्त नहीं है। यदि हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त करें और उनका भविष्य उज्ज्वल हो, तो इसके लिए पालकों और अभिभावकों की सक्रिय भागीदारी बहुत जरूरी है। 

     विद्यालय में बच्चे ज्ञान तो प्राप्त करते हैं, लेकिन यदि अभिभावक उन्हें प्रतिदिन बिना किसी छुट्टी के विद्यालय भेजें तो इसका प्रभाव उनकी शिक्षा पर कहीं अधिक गहरा होता है। नियमितता से बच्चों में अनुशासन की भावना आती है और वे पाठ्यक्रम को बेहतर ढंग से समझ पाते हैं।

       इसके अलावा, अभिभावकों का यह भी कर्तव्य है कि वे सिर्फ बच्चों को विद्यालय भेजकर निश्चिंत न हो जाएं। उन्हें बच्चों की पढ़ाई में रुचि लेनी चाहिए, उनके गृहकार्य में मदद करनी चाहिए और शिक्षकों से मिलकर उनकी प्रगति के बारे में सतत जानकारी लेते रहना चाहिए।

   जब घर और विद्यालय, दोनों मिलकर बच्चे की शिक्षा पर ध्यान देते हैं, तो इसका परिणाम बहुत सकारात्मक होता है। बच्चा न केवल अकादमिक रूप से मजबूत होता है, बल्कि उसमें आत्मविश्वास भी बढ़ता है।

     यह समझना आवश्यक है कि बच्चे की शिक्षा केवल विद्यालय की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह सबका एक साझा प्रयास है जिसमें पालक, शिक्षक और स्वयं बच्चे का योगदान होता है। जब यह साझेदारी मजबूत होती है, तो बच्चे निश्चित रूप से बहुत कुछ सीख पाते हैं और उनका शैक्षिक स्तर काफी ऊँचा व अव्वल दर्जे का होता है।

चित्रकारी में ध्यान का महत्त्व

 


                            चित्रकारी और ध्यान का महत्व

    चित्रकारी (पेंटिंग या ड्राइंग) एक अद्भुत कलात्मक विधा है, और इसे सफल बनाने के लिए स्पष्ट मानसिक छवि का होना अत्यंत आवश्यक है। यह सच है कि ध्यान (concentration/focus) इसमें बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

मानसिक छवि को स्पष्ट करना (Clarity of Mental Image):

      ध्यान आपको उस चीज़ की छोटी से छोटी बारीकियों पर भी केंद्रित करने में मदद करता है जिसे आप बनाना चाहते हैं। चाहे वह कोई वस्तु हो, दृश्य हो, या कोई भावना, ध्यान की गहराई से ही आप उसकी सटीक रूपरेखा, आकार, अनुपात, और प्रकाश-छाया (shading) को अपने मस्तिष्क में 'देख' पाते हैं।

हाथ और आँख का समन्वय (Hand-Eye Coordination):

      जब आप गहरे ध्यान में होते हैं, तो आपके हाथ उस मानसिक छवि को कागज पर उतारने के लिए आपके मस्तिष्क के साथ बेहतरीन तालमेल (coordination) में काम करते हैं। इससे स्ट्रोक्स (strokes) सटीक और आत्मविश्वास से भरे होते हैं।

विवरण और बारीकियों पर पकड़ (Grasping Details and Nuances):

       ध्यान आपको लंबे समय तक किसी एक बिंदु पर केंद्रित रहने में सक्षम बनाता है, जिससे आप जल्दबाजी किए बिना जटिल विवरणों (complex details) को धैर्यपूर्वक बना पाते हैं।

रचनात्मक प्रवाह (Creative Flow State):

      गहरा ध्यान अक्सर आपको 'फ्लो स्टेट' (Flow State) में ले जाता है, जहाँ बाहरी दुनिया की चिंताएँ गायब हो जाती हैं और आप पूरी तरह से अपने काम में लीन हो जाते हैं। इसी अवस्था में सबसे बेहतरीन और मौलिक कलाकृतियाँ जन्म लेती हैं।

"सम्मान" बच्चों के लिए गर्व और प्रोत्साहन

      

 

          जब स्कूल के बच्चों को अभिभावकों और समुदाय के सामने सम्मानित या पुरस्कृत किया जाता है, तो यह सिर्फ उन बच्चों के लिए ही नहीं, बल्कि स्कूल, शिक्षकों और अभिभावकों के लिए भी एक बेहद गौरवपूर्ण क्षण होता है। यह सम्मान समारोह एक प्रेरणादायक और खुशी भरा माहौल बनाता है, जिससे सभी को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।

बच्चों के लिए गर्व और प्रोत्साहन

        सम्मानित होना बच्चों के आत्मविश्वास को बहुत बढ़ाता है। जब वे सबके सामने अपनी मेहनत और लगन का फल पाते हैं, तो उन्हें यह महसूस होता है कि उनका काम महत्वपूर्ण है। यह उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि होती है, जो उन्हें भविष्य में और भी बेहतर करने के लिए प्रेरित करती है। यह सम्मान समारोह उन्हें यह भी सिखाता है कि कड़ी मेहनत और समर्पण का हमेशा अच्छा परिणाम मिलता है।

शिक्षकों और स्कूल के लिए सम्मान

          यह समारोह शिक्षकों की मेहनत और समर्पण का भी सम्मान करता है। जब एक बच्चा सफल होता है, तो यह उनके शिक्षकों की शिक्षण पद्धति और मार्गदर्शन की सफलता को दर्शाता है। इससे शिक्षकों को गर्व महसूस होता है और उन्हें अपनी शिक्षण शैली में विश्वास बढ़ता है। स्कूल के लिए, यह समारोह उनकी शैक्षिक उत्कृष्टता और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की प्रतिबद्धता को साबित करता है। यह स्कूल की प्रतिष्ठा को बढ़ाता है और उसे समुदाय में एक सकारात्मक पहचान दिलाता है।

अभिभावकों के लिए खुशी और प्रेरणा

      अभिभावकों के लिए, अपने बच्चे को सम्मानित होते देखना सबसे खुशी का पल होता है। उनकी खुशी और गर्व की भावना उनके द्वारा बच्चे की शिक्षा में दिए गए समर्थन और त्याग को सार्थक बनाती है। यह पल उन्हें यह भी महसूस कराता है कि उन्होंने सही दिशा में काम किया है। इस तरह के समारोह अन्य अभिभावकों को भी अपने बच्चों को प्रोत्साहित करने और उनकी शिक्षा में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रेरित करते हैं।

बुद्धिमत्ता INTELLIGENCE

 बुद्धिमत्ता की सच्ची पहचान

बुद्धिमत्ता को अक्सर स्कूल की पढ़ाई और अच्छे अंकों से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन यह एक बहुत ही संकीर्ण (narrow) सोच है। असल में, बुद्धिमत्ता का दायरा बहुत बड़ा और विविध होता है। एक बच्चा जो गणित या विज्ञान में अच्छे नंबर नहीं ला पाता, हो सकता है कि वह कला, संगीत या खेल में असाधारण रूप से प्रतिभाशाली हो। उसकी सोचने की क्षमता, रचनात्मकता (creativity), और समस्या-समाधान (problem-solving) का तरीका अलग हो।

विभिन्न क्षेत्रों में कौशल

खेल और शारीरिक शिक्षा: जो बच्चे खेलों में अच्छे होते हैं, उनमें न केवल शारीरिक चुस्ती-फुर्ती होती है, बल्कि उनमें रणनीति बनाने, टीम के साथ मिलकर काम करने और दबाव में बेहतर प्रदर्शन करने की क्षमता भी होती है। ये सभी गुण जीवन के हर क्षेत्र में सफलता के लिए बहुत ज़रूरी हैं।

कला और संगीत: कला और संगीत में कुशल बच्चे भावनाओं को व्यक्त करने, कल्पना करने और नई चीजें रचने में माहिर होते हैं। उनकी संवेदनशीलता (sensitivity) और अवलोकन (observation) क्षमता उन्हें दूसरों से अलग बनाती है।

कृषि और प्रबंधन:  कुछ बच्चे प्राकृतिक रूप से ही कृषि या व्यापार की समझ रखते हैं। वे मिट्टी, पौधों और पर्यावरण को बेहतर ढंग से समझते हैं या लोगों को संगठित करने और किसी कार्य को कुशल तरीके से प्रबंधित करने की जन्मजात क्षमता रखते हैं।

हमारा कर्तव्य: सही दिशा देना

हमें यह समझना होगा कि हर बच्चा एक बीज की तरह होता है। कुछ को फलदार वृक्ष बनने के लिए पानी चाहिए, तो कुछ को फूल बनने के लिए धूप। एक ही तरह की शिक्षा सबको एक जैसा बनाने की कोशिश करती है, जो कि सही नहीं है।

हमारा कर्तव्य है कि हम शुरुआती स्तर पर ही बच्चों की रुचि और प्रतिभा को पहचानें। उन्हें केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रखकर, उन क्षेत्रों में प्रोत्साहित करें जहाँ वे स्वाभाविक रूप से अच्छे हैं। उन्हें रटने के बजाय समझने और सोचने की आज़ादी दें। ऐसा करके ही हम उनकी वास्तविक क्षमताओं को निखार पाएंगे और उन्हें एक सफल और खुशहाल जीवन की ओर ले जा पाएंगे।

       सिर्फ अच्छे अंकों पर ध्यान केंद्रित करने से हम बच्चों की असली प्रतिभा को दबा रहे हैं। यह सिर्फ एक किताबी सफलता है, जबकि जीवन की सफलता बहुत कुछ और है।

राष्ट्रीय खेल दिवस

             


                                                              राष्ट्रीय खेल दिवस

        आज ही के दिन अर्थात 19 अगस्त 1905 को हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले ध्यानचंद जी का जन्म हुआ था । उन्हीं की याद में देश राष्ट्रीय खेल दिवस मना रहा है । वह ड्यूटी के बाद घंटा चांदनी रात में प्रेक्टिस किया करते थे अतः उनके दोस्त उन्हें चंद नाम से पुकारा करते थे उन्होंने अपने करियर में 1000 गोल दागे । ओलंपिक खेलों में तीन  गोल्ड मेडल दिलाने में भी हमारे हॉकी के जादूगर का ही हाथ रहा ।

हॉकी का जादूगर

अपने बेजोड़ स्टिक-वर्क और बॉल कंट्रोल की वजह से मेजर ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाने लगा। वह गेंद और स्टिक के बीच ऐसे तालमेल बैठाते थे कि देखने वालों को भरोसा ही नहीं होता था। यह उनके अभ्यास का नतीजा था।

हिटलर का ऑफर ठुकराया

1936 के बर्लिन ओलंपिक में उनके खेल से प्रभावित होकर हिटलर ने उन्हें जर्मन सेना में शामिल होने का ऑफर दिया। हालांकि उन्होंने हिटलर के इस प्रस्ताव को ही ठुकरा दिया था। उन्होंने अपने देश को चुना था।

जादुई स्टिक

नीदरलैंड में अधिकारियों को संदेह था कि ध्यानचंद हॉकी स्टिक में चुंबक या गोंद लगाकर खेलते हैं। इससे गेंद चिपक जाती है । ऐसे में उनकी हॉकी स्टिक की तोड़कर जांच भी की गई थी।

आत्मकथा

मेजर ध्यानचंद की आत्मकथा का नाम 'गोल' है। यह 1952 में प्रकाशित हुई थी। इसके लेखक मेजर ध्यानचंद ही थे।

डॉन ब्रैडमैन हुए मुरीद

दिग्गज क्रिकेटर डॉन ब्रैडमैन ने मेजर ध्यानचंद के खेल को देखकर कहा था कि वे वैसे ही गोल करते हैं, जैसे क्रिकेट में रन बनाए जाते हैं।

     







" हजारों पेड़ धरती मां के नाम" – पड़िगांव के बच्चों ने वृक्षारोपण कर दिखाया प्रकृति से नाता


"हजारों पेड़ धरती मां के नाम"- पड़िगांव के बच्चों ने वृक्षारोपण कर दिखाया प्रकृति से नाता

                ग्राम पड़िगांव स्थित शासकीय बालक प्राथमिक शाला सह कन्या माध्यमिक शाला  के बच्चों ने हाल ही में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक अनुकरणीय पहल करते हुए "एक पेड़ मां के नाम" योजना के अंतर्गत वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया। यह आयोजन पवित्र महानदी तट के ग्राम वन में सम्पन्न हुआ, जिसमें विद्यार्थियों के साथ उनके माता-पिता, शिक्षक शिक्षिकाएं,माननीया सरपंच महोदया पंचायत प्रतिनिधिगण, गणमान्य नागरिकगण और औद्योगिक वन विकास निगम लिमिटेड  के अधिकारी भी सम्मिलित हुए।

         पौधारोपण के इस विशेष अवसर पर प्रत्येक बच्चे ने न केवल अपनी मां अपितु धरती मां के प्रति श्रद्धा और प्रकृति के प्रति प्रेम को एक पौधे के माध्यम से अभिव्यक्त किया । कार्यक्रम में उत्साह, सहभागिता और पर्यावरण के प्रति समर्पण की अद्भुत झलक देखने को मिली। देखें यू ट्यूब वीडियो महानदी तट पड़िगांव में वृक्षारोपण

बच्चों के समग्र विकास की दिशा में एक सशक्त कदम

          विद्यालय के प्रधान पाठक श्री बाबूलाल पटेल ने इस अवसर पर कहा,

        "प्रकृति से जुड़ाव केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित नहीं रहना चाहिए। जब बच्चे स्वयं पेड़ लगाते हैं, मिट्टी से जुड़ते हैं, तब वे पर्यावरण को वास्तव में समझते और संवारते हैं। ऐसे आयोजनों से बच्चों के बौद्धिक, मानसिक एवं नैतिक विकास को नई दिशा मिलती है।" उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि इस प्रकार की गतिविधियाँ बच्चों को न केवल पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाती हैं, बल्कि उन्हें  प्रकृृृति की जैव विविधता से भी आत्मिक रूप से जोड़ती हैं।

शिक्षक शिक्षिकाओं  की प्रेरणादायक भूमिका

    कार्यक्रम में विद्यालय के शिक्षक श्री फणींद्र भोय ने विद्यार्थियों को पर्यावरणीय असंतुलन के दुष्परिणामों से अवगत कराते हुए पेड़ों को संरक्षित करने की महत्ता बताई, वहीं श्रीमती उर्मिला मिंज , श्रीमती सीता गुप्ता  एवं श्रीमती प्रेमी टोप्पो  ने छात्रों को धरती को हरा-भरा रखने व सुंदर बनाने के लिए सतत प्रयास करने का संदेश दिया।

सम्मान और उत्साह का वातावरण

        कार्यक्रम के अंत में, औद्योगिक वन विकास निगम लिमिटेड एवं वन विभाग के अधिकारियों एस डी ओ श्री साहू जी, पी आर ओ श्री चंद्रा जी, सहित ग्राम पंचायत की माननीया सरपंच श्रीमती शशिप्रभा सेठ और अन्य गणमान्य नागरिकों ने बच्चों के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्हें मिठाई और पेन भेंट किए। यह छोटा सा सम्मान बच्चों के लिए बड़ा प्रोत्साहन बनकर उभरा।

एक अनुकरणीय पहल – प्रकृति के प्रति समर्पण

     "एक पेड़ मां के नाम" योजना केवल एक वृक्षारोपण कार्यक्रम नहीं, बल्कि बच्चों के मन में प्रकृति के प्रति प्रेम, जिम्मेदारी और जागरूकता की भावना को साकार रूप देने का सशक्त माध्यम बन गई है। इससे न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिला है, बल्कि विद्यार्थियों में सामाजिक सहभागिता और भावनात्मक संवेदनशीलता भी विकसित हुई है।

        इस पहल ने यह साबित कर दिया है कि जब बच्चे प्रकृति से जुड़ते हैं, तो आने वाली पीढ़ियाँ हरित भविष्य की ओर एक मजबूत कदम बढ़ाती हैं।


पड़िगांव: महानदी के तट पर एक और पर्यावरणीय पहल

 

   

पड़िगांव: महानदी के तट पर एक और पर्यावरणीय पहल

पड़िगांव, रायगढ़, [6 जुलाई 2025]: रायगढ़ जिले के पुसौर विकासखंड का गौरव ग्राम पड़िगांव, पवित्र महानदी (चित्रोत्पला) के तट पर स्थित एक समृद्ध सांस्कृतिक गांव है. यह गांव अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सामुदायिक प्रयासों के लिए जाना जाता है, विशेषकर पर्यावरणीय संरक्षण के क्षेत्र में व सांस्कृतिक पुनर्जागरण के लिए।

           वर्ष 2018 में, एक शिक्षक व समाजसेवी बाबूलाल पटेल के विशेष अनुरोध पर, तत्कालीन माननीय यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह जी के निर्देशानुसार, छत्तीसगढ़ राज्य वन विकास निगम लिमिटेड, रायगढ़ द्वारा इस कछार के एक हिस्से में 33,000 सघन पौधे लगाए गए थे. ये पौधे अब एक सुंदर और सघन वन का रूप ले चुके हैं, जो गांव की हरियाली में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।

             पड़िगांव में प्राचीन काल से चली आ रही मुष्ठी भिक्षा समिति और सनातन धर्म व संस्कृति के प्रचार-प्रसार हेतु निर्मित श्री जगन्नाथ सेवा समिति, समस्त नागरिकों के साथ सामंजस्य व समन्वय से वर्ष भर धार्मिक आयोजन कर क्षेत्र को गौरवान्वित करती आ रही है ।

              आज, 6 जुलाई 2025 को, हमारे गांव ने महानदी तट पर और सघन वृक्षारोपण सह जैव विविधता संरक्षण एवं संवर्धन की कड़ी को आगे बढ़ाया . 2018 के सफल वृक्षारोपण के बगल में स्थित रिक्त भूमि पर 50,000 पौधों के रोपण (प्रथम चरण) का शुभारंभ किया गया. इस गरिमामय अवसर पर माननीया सरपंच श्रीमती शशिप्रभा सेठ, पंचायत प्रतिनिधिगण, शिक्षक एवं समाजसेवी श्री बाबूलाल पटेल जी, संतोष नायक जी, भेष प्रधान जी, अनुपम सेठ जी, सुधीर भोय जी, लक्ष्मीनारायण धोबा जी, प्रेम जी, मुकेश खम्हारी जी, देवकुमार गुप्ता जी गांव के गणमान्य नागरिक गण, वन विकास निगम लिमिटेड के परियोजना परिक्षेत्र अधिकारी श्री रविकांत चद्रा जी,  सहायक परियोजना परिक्षेत्र अधिकारी श्री रामनारायण चंद्रा जी , कर्मवीर श्री ठंडाराम प्रधानजी, राधेश्याम गुप्ता जी प्रेमलाल भुईंया जी तथा कर्मवीर माताएं, बहनें और श्रमवीर भाई उपस्थित रहे।

             इस पहल के माध्यम से पड़िगांव अपनी प्राकृतिक विरासत को तो समृद्ध कर ही रहा है, साथ ही भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और टिकाऊ पर्यावरण सुनिश्चित करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है. यह प्रयास छत्तीसगढ़ राज्य शासन की पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है, जिसके लिए गांव के प्रबुद्ध और सम्मानित वरिष्ठ नागरिकों ने माननीय मुख्यमंत्री महोदय और राज्य शासन के प्रति अपनी गहरी प्रशंसा और धन्यवाद व्यक्त किया है।

 


विद्यालय : छात्र शिक्षक और पालक

            बच्चों का विद्यालय में नामांकन करा देना ( नाम लिखवा देना ) ही पर्याप्त नहीं है। यदि हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे अच्छी शिक्षा प्र...

Popular Posts